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लोहे की रेल लोहे के दिल

MERI NAJAR
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भारतीय रेल का खेल बचपन से ही मुझे बहुत अच्छा लगता है तब .हम मे से कोई इंजन बन जाता और बाकि डिब्बा बन कर उसमे लग जाते फिर जो उधम मस्ती होती उसका कहना क्या ?रेल की यात्रा का आपना मजा तो आज भी है सब कुछ बदल गया है पर रेल का खेल वही अंग्रेजो के जमाने का ही है लोहे की रेल लोहे के दिलो से छुक छुका रही है .
लालू जी की रेल का अपना रुतबा था दीदी की रेल अपनेतरीके सेभाग रही है रही यात्रियों की बात तो वे बेचारे तो सदा से उपरवाले के भरोसे ही रहे है सो आज भी उसी तरह जान हथेली पर धरे चलते है झारखण्ड बंगाल व् बिहार की रेल यात्रा नक्सली भाइयो की किरपा पर है .उनकी इच्छा होगी तोही यात्री घर वापस होगा .कोंन ट्रेन कब चलेगी औरकहा रुकेगी किसी को पता नहीं ?
खैर मै कह रहा था की रेल तो लोहे की बनी होती है इस लिए इसकी यात्रा भी लोहा बन कर ही होती है रेल वाले तो खैर यात्रियों को लोहा ही मानते आये है आप ने स्टेशन परिसर मे प्रवेश किया नहीं की लोहे मे तब्ब्दिल हो गए .
मै कल अपने बेटे को ट्रेन मे बिठानेगया था पहेले चार्ट मे बोगी की पोजीसन खोजने का प्रयास किया फिर पूछताछ वालो से रिरियाया परनतीजा सिफ़र. मन मार कर प्लेटफ़ॉर्म पर आया की मॉडल स्टेशन के ख़िताब से नवाजा गया स्टेशन बोगी की स्थिति को बता ही देगा पर नहीं, रेल गाड़ी के आने की सुचना भर दी गयी .
एक बुजुर्ग दम्पति हर किसी से” वातानुकूलित बोगी आगे है की पीछे लगी है” की रट लगा रहे थे और लोग जबाब मे “ट्रेन आने पर पता चलेगा ” कह कर पल्ला झाड़ रहे थे . मैंने उन्हें तस्सली देने की कोसिस की तो बोले आप लोग तो भाग कर भी बोगी में बैठ जायेगे पर हम तो ऐसा नहीं कर पायेगे .कोच नंबर डिस्प्ले का बोर्ड लटकाया है इन लोगो ने आखिर किस लिए ? मित्रो जबाब तो मेरे पास नहीं था पर उनकी मदद तो कर ही सकता था ट्रेन के नौ डिब्बो को पर कर उनको सीट पर पंहुचा कर मैंने बेटे को उसकी बोगी मे बैठाया .यह बात किसी एक स्टेशन की नहीं है यह अक्क्सर हर स्टेशन पर लोगो के साथ घटने वाली आम बात है कई बारगाड़ी आने के ऐन वक़्त प्लेटफ़ॉर्म बदल दिया जाता है जो छोटे बच्चो के साथ यात्रा करने वालो व बुजुर्गो के लिए जोखिम
भरा साबित होता है पर इन लोहे के दिल वालो को इतना सोचने की जरुरत क्या है?
बोगी में पानी नहीं है तो क्या? इनको पानी की जरुरत समझ ने की क्या पड़ी है ?पानी बेकार में बहा देगे पर यात्रियों को नहीं मिलेगा .
रेल यात्रा में अगर आप का पाला हिजड़ो से नहींपड़ातोआपयक़ीननखुदकोभाग्यसाली
मान सकते है

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