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विरासत एक अदद थाने की

MERI NAJAR
MERI NAJAR
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भारतीय पुलिस बिभाग पर मेरी अटूट श्रद्धा है पुलिस को देखते ही मेरा ढाचा कमान हो जाता है नहीं समझे ,बिल कुल वेसा जैसा डालर को देख कर बाकि दुनिया का होता है कास मुझे भी बचपन से पुलिस की छांव मिली होती ,अम्मा ने डराया होता ; चुप हो जा नहीं तो पुलिस आ जाएगी , पर कसूर अम्मा का नहीं पुरखो का है .मुहल्ले में पुलिस होती तब न । यु तो ऊपर वालो [ भगवन मत समझलेना] की दया से अपने मोहल्ले में जच्चा-बच्चा अस्पताल से लेकर राम लीला कमेटी तक वह सभी कुछ मौजूद है जो एक मोहल्ले में हों चाहिए बस कमी है तो एक अदद थाने की ।

पडोसी मुहल्ले में होने वाली वारदातों के निवासियों समेत बड़े बड़े फोटो अखबारों में छापते है वहा कभी मंत्री जी दौरा करते कभी पुलिस के बड़े बड़े हाकिम हुक्काम आते है हम दिल मसोस कर रह जाते । काश हमारे मोहल्ले में भी ऐसा कुछ होता , वे लोग कही जाते तो फ़ौरन पहचान लिए जाते , आइये आप फला मोहल्ले से आये है न । इधर हम लाख परिचय दे ,सर पटके कोई पहचानने को ही नहीं तैयार होता । किसी दफ्तर में जाते तो साहब का चपरासी ही डांट कर भगा देता .अब तो बताने भी शर्म आती है , जिस मोहल्ले का पुलिस रिकार्ड न हो वह भी कोई रहने लायक है । मुहल्ले के बच्चे शिकयत करते अंकल हमरे मोहल्ले में पुलिस क्यों नहीं है ?बाजू वाले मोहल्ले के बच्चे अपनी पुलिस के साथ चोर पुलिस खेलते है ,पर हमें नहीं शामिल करते , अब हम यह खेल किसके साथ खेले ? भला इन बातो का जबाब मै क्या देता ?यह सब तो सरकार को सोचना चाहिए ।
किसी ने सलाह दी बड़े साहब से मिल लो शायद काम बन जय । अब सलाह देने वालो का क्या है सलाह दी और
पंजे झाड लिए ,साहब न हुए बोफोर्स तोप हो गयी जो हर गली चौराहे मिल गयी । तीन महीने सुबह शाम उनकी चौखट पर नाक रगड़ने के बाद उनके दर्शन हुए , उन्होने मुस्करा कर मेरे अभिवादन का जबाब दिया तो मै गद-गद
हो गया । मोहल्ले में थाने के औचित्य पर प्रकाश डालते हुए मैंने कहा ” सर सवाल थाने का नहीं मोहल्ले के भविष्य
का है ,भावी पीढ़ी हमारे बारे में क्या सोचेगी ?कितने निकम्मे थे हमारे पुरखे जो एक अदद थाना भी बिरासत में नहीं सौप सके । सर पुलिस के साये तले यदि बच्चे गोली -बन्दूक चलाना ,अफीम चरस ,बेचना पीना सिख गए
तो देर सबेर पुलिस लिस्ट में चढ़ कर माँ-बाप का नाम रोशन कर डालेगे ।
बड़े साहब मुछो समेत खिलखिलाए । पुलिस बिभाग पर आप का प्रेम और बिस्स्वास वाकई काबिले तारीफ है .मै
कोशिश करुगा की आप का मोहल्ला भी तरक्की करे
इस घटना के कुछ दिन बाद ही नियुक्ति पत्रों समेत हवलदार हुकुम सिंह आरछी नारायण चौबे के साथ मोहल्ले में आ पहुचे . स्वयं सेवको ने मैदान में झंडिया लगा कर तिरपाल
बांधा ,रामलीला कमिटी ने तखत लगा कर उनको बैठाया ,माँ बहनों ने गीत गाकर आरती उतारी ,रोली अछत का टीका लगाया .बच्चो ने शरमा शरमा कर पुलिस को देखा .अब मुझे बिस्वास है कुछ दिन बाद वे भी आपनी पुलिस के साथ चोर पुलिस खेलना सिख जायेगे .
मोहल्ले में पहली चोरी भैस की हुयी तो खुशया मनाई गयी . आज कल इसी तरह के मौको पर लोग खुस होते है मोहल्ले वालो ने मिल कर कलुवा को बधाई दी . लोगो ने भैस की महानता का उसके गुणों का जिक्र किया .वर्मा जी ने भावुक हो कर बताया की
वह कितने प्यार से अपनी पूंछ मेरी पीठ पर फेरती थी . आज भी गोबर की गंध मेरी सांसो में बसी है
कलुवा ने भाव बिभोर होकर बताया की भैस का दूध इतना गाढ़ा होता था की कितना भी पानी मिलाओ मगर क्या मजाल कोई पकड़ ले . पुष्प हरो से लदा कलुआ जब रिपोर्ट दर्ज करने थाने पंहुचा तो उसके बिरोधियो के दिलो में सांप सूंघ गया .हाय हमारे यहाँ क्यों न हुयी चोरी ?कलुवा बाजी मार ले गया .
नारियल तोड़ आरछी नारायण चौबे ने रोजनामचे का उदघाटन किया .तहकीकात के अनुभवों से लब्ध हवलदार हुकुम सिंह ने नपे तुले अंदाज में भैस लम्बाई से लेकर सींघो की गोलाई व आकर प्रकार का बिस्तार पूर्वक वर्णन नोट किया , कलुवा की जेब को सुंघा और सबको बिदा किया
दुसरे दिन भैस मय चोर थाने में बंधी थी .पांचो की मौजूदगी में उसको रोजनामचे में दाखिल करने के बाद जब भैष की नाप जोख का काम संपन्न हुवा तो हुकुम सिंह चौंके .रिपोर्ट में दर्ज ब्योरे के अनुसार रस्सी की लम्बाई तीन मीटर थी .जबकि बरामद भैस की रस्सी नो इंच बड़ी है इसी प्रकार सिंघो की लम्बाई मिलाने पर चार इंच छोटी निकली .
हुजुर सारा मुहल्ला जनता है की भैस मेरी है कलुवा रिरियाया
हम कहा कहते है की भैस पुलिस की है , कलुवा जी हम तो पुलिस रिकार्ड में दर्ज हुलिए के अनुसार ही काम करेगे न .फिर भैस कही भागी तो नहीं जारही है आप के घर बंधी है या यहाँ, आपआराम से इसकीसेवा टहल करिए हा जब तह किकात पूरी नहीं हो जाती दूध मॉल खाने में दर्ज होता रहेगा बाकि रही भैस तो वह आप को मिलेगी ही .
अब मै संतुस्ट हु किसी दिन हमारे मुहल्ले का नाम अख़बार में जरुर छपेगा .

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