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इत फगुनाई सेज है

MERI NAJAR
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यादो के पखनो उड़ा, विरह पिया के देश ||

इत फगुनाई सेज है . उत तुम हो परदेश  ||

महुवारी वह महक भर , हवा रही अस धाय ||

मन पाहुन ने आय ज्यो ,द्वार दीन खटकाय ||

रस से   भरकर यु गिरा , महुवा धरनी आय ||

रूप राशि नव यौवना , ज्यो चंदा ज्योति नहाय ||

महुवा के       रस से        भरे ,मदनारे     वे नैन ||

आली    सूरति श्याम      की ,हरै राति दिन चैन ||

सखि री फिर कब देखिहौ , श्याम    सलोने पांव ||

फूला      महुआ        बाग मे , फागुन आया गाँव ||

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