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पिरितिया फागुन की

MERI NAJAR
MERI NAJAR
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मनवा रे कर लो सिंगार

पिरितिया फागुन की ||

बरसी है रस की फुहार

बदरिया फागुन की ||

चाहति है तुम्हरो दिदार

नजरिया फागुन की ||

रंग ली है रंग में तुम्हार

चुनरिया फागुन की ||

फैली है मन के दुवार

उजेरिया फागुन की ||

कूकत है अमवा के डार

कोयरिया फागुन की ||

आवो न सजाना हमार

की बेरिया फागुन की ||

विधना लिख्यो का लिलार

बयरिया फागुन की ||

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