Menu
blogid : 2222 postid : 571

हमरी न मानो सिपहिया से पूछो

MERI NAJAR
MERI NAJAR
  • 78 Posts
  • 1604 Comments

ठीक होली के दिन ब्रम्भ मुहूर्त में जब थाने के लाउडस्पीकर पर ढोलक की थाप पर ” मुन्नी टकसाल हुयी डार्लिंग तेरे लिए ” गाना शुरू हुआ तो मै समझ गया कि

भारतीय पुलिस होरिया गयी है | महीने भर से ब्लॉग पर ब्लॉग ठोके जा रहा था पर पुलिस थी कि कान में उगली डाल सो रही थी | खैर
कुछ भी हो हुकुम सिंह ने आखिर मेरा मन रख ही लिया |
मैंने श्रीमती जी को जगाने का दुस्साहस कर दिखया | यु तो अमूमन नीद खुलने पर नित्य शंकाओ के निवारण के उपरांत चाय का
विधान खुद ही निपटता हु ,सोचा आज होली है शायद वे पसीज जाय और चाय का प्याला बिना मशक्कत हाथ लग ही जाय | पर नहीं …..
जो कभी नहीं होता भला आज कैसे हो जाता ?
अभी कुछ करता कि दरवाजे पर दस्तक हुयी ” कौन होगा भला “?
तब तक जोर का प्रहार दरवाजे पर हुआ | मै घबरा कर जल्दी बाहर निकला |
“सो रहे थे जी , पुलिस जागे जनता सोये वाह ,,, अब यह सब नहीं चलेगा … मै आ गया हु ..अब सुधर जाओ | क्या खा के सोये थे हा ?
बोलते क्यों नहीं , पुलिस को सहयोग न करने का मतबल …. मतबल …. जानते हो दफा ,,,,, दफा इतनी ..बिना जमानत
पर सरकार बोलने का मौका तो मिले मेरा मतलब …..
फिर मतबल …हमको .. मतबल समझा रहे हो ,,, नाम बोलो …..
नाम तो सरकार रमेश .. हुआ ..
“किसी बाजपेयी को जानते हो ससुरे के चलते सुबह सुबह थाना छोड़ना पड़ा ,बोहनी तक नहीं हुयी ”
” जी ,,, जनता हू हजूर जनता हू हुजुर मै ही हू …..
तुम ….. आ आप …ही हो … तो प्रणाम सर गोड़ लगी हाकिम … हवलदार जी का निम्तरन है होरी हुरदन्ग आपै के
सनरकक्षन में होगा सरकार मैंने पहिचाना नहीं ,थाने पर इस भूल का जीकर न होय ‘
खैर मै थाने पंहुचा तो वहा का माहौल बिलकुल होरियाना ही था |सब लोग अपने अपने हिसाब काफी से व्यस्त थे | मुन्सी जी ने झकाझक कुरता
पहन रखा था |वे सिलबट्टे पर ठंढाई को रोजनामचे कि तर्ज पर रागरवा रहे थे |अनुभवों से तपे तपाये मुन्सी जी फरियादी को एक बार में जितनी दफाए लगाने कि धमकी दे डालते थे उतनी देर में तो आम आदमी उतनी बार साँस भी नहीं ले सकता |
हवलदार हुकुम सिंह हर आने वाले से गले मिल रहे थे साथ ही साथ वायरलेस पर लोकेशन व हंसी मजाक भी निपटा रहे थे | एक आरक्षी को माइक पर जनता को” होली मुबारक “देने का आदेश हुआ |
उसने दैनिक जीवन में बहुओ को जला कर थाने को गुलजार रखने वाली माँ ,बहनों को धन्यवाद देकर उनका उत्साह वर्धन किया | हवालात में आने जाने वाले भाइयो के उज्जवल भविष्य की कामना की ,पुलिश और अपराधियों के अओसी ताल मेल को सामाजिक सदभाव का प्रतीक बताया तथा इसे अधिक प्रगाढ़ करने की आवश्यकता पर बल दिया | कुल मिला कर उसके होली मुबारक से मजा आगया देखना यह रंगरूट एक दिन पुलिस विभाग का नाम जरुर रोशन करेगा |
मुझे वहा खड़ा देख कर एक ने डपट दिया ” क्या है ? चल उधर दरी में बैठ | वह तो मुझे धकिया कर बैठने वाला कार्य भी संपन कर डालता की उस से पहले ही किसी ने मुझे पहचान लिया | मुझे फूलो का हर पहनकर मुख्य अतिथि के आगमन की घोषणा के साथ कार्यक्रम शुरू हुआ |
अब हुकुम सिंह ने माइक सभाला ” भैया पुलिस तो त्योहारों को बहुत जिन्दादिली से मानना चाहती है पर ऊपर से आदेश मिले तब न | वैसे हम हर दिन होली मना भी नहीं सकते , रंग ,गुलाल ,शरबत में तो खर्च लगता है | आज काम तो चल गया | चौक का ठेले वाला रंग गुलाल दे गया , भाँग-
ठंडाई ठेके से आ गयी , शरबत पानी का भी जुगाड़ हो गया | कुल मिला कर सब ठीक हो गया | अब होली की मौके पर सतिया जी कुछ गीत गाएगी ,आप शरबत के साथ साथ गीतों का आनंद ले | मुन्सी जी ने भाँग मिला गिलास हवलदार को पकडाया , गुलाल मला जाने लगा | गिलास चढ़ने लगे| फिर पुलिस और भाँग के मिलन का जादू ……. छाने लगा | तिस पर सतिया की टेर……..|
” हमरी न मानो सिपहिया से पूछो , दरोगवा से पूछो ,, पंडित ने लई लीन्हा दुपट्टा मेरा , भरि ,फागुन मोहे घेरा ,,, जी .. घेरा ‘
वह कुछ और गाती इससे पहले ही मै सबकी नजर बचा कर बाहर निकल आया | ये भागा ….वो गया ,,,,

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh