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हे मेघा जब मथुरा जाना

MERI NAJAR
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हे मेघा जब मथुरा जाना

बरषि टपकि मोरे अँसुवन अस उनको है बतलाना |

वह बोलनि वह मिलनि कहू कस मनवा मोर लजात |

जल बिनु मीन नीर बिनु जस तुम वही हमारी बात |

दिनकर बिनु जस कुमुद कली ककस खिलेगी रात |

मोहन बिनु धिक् हमरो जीवन ह्रदय बरो  है जात |

हे जलधर ये प्यासे लोचन बुनत मिलन का ताना |

कह “रमेश” उर भेद रहा है यह विरह       का बाना |

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