आदरणीय महोदय यह मंच साहित्य व संस्कृति की गरिमामयी गंगा के रूप में जाना जाता है | यह पुन्य सलिला भागीरती की तरह ही बहुत ही सहजता व उदारता से साहित्यकारों ,लेखको ,कवियों व पाठको को आत्मसात करने की प्रवित्ति के कारण भी ख्याति से परिपूर्ण है | यह मुकाम हासिल करने में आपकी सोच ,मार्ग दर्शन व नीतिया स्तम्भ रही ही है , मगर मंच के लोगो ने भी आपसी शिष्टता भाईचारे , सदभावो व गरिमामयी आचरण से इसकी सुचिता को अक्षुण रखा है | हम लोगो ने भी नए लोगो का ह्रदय से उत्साह वर्धन किया ताकि नए लोग सहजता से अपने विचारो को यहाँ रखे | बहन बेटियों से भरे इस मंच पर शालीनता पूर्वक ब्लागिंग होती रहे | ३-४ दिन पहले प्रथम प्रष्ठ पर ही किसी बंधु की अमर्यादित भाषा में लिखी प्रतिक्रिया तब तक चलती रही जब तक की अन्य कमेन्ट के आ जाने के कारण वह स्वयं नहीं हट गयी | महोदय मै स्तब्ध था | मुझे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था कि यह हो क्या रहा है , ? तकनीकी रूप से मै इस तरह का ज्ञान भी नहीं रखता की कुछ कर पाता | आप तकनीकी रूप से कुशल है | इस तरह की घटनाये न हो इसका उपाय होना चाहिए तथा इस हालत हम लोगो को किस से बात करनी चाहिए, यदि इस पर कुछ बताये तो आभारी रहूगा |
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