बिलकुल ठीक समझा आपने | ७५ सालो की गौरव गाथा का जोर शोर से गुणगान करता यह स्टेसन दूर दराज के ग्रामीण श्रोताओ के साथ जिस तरह का मजाक पिछले २५-३० सालो से कर रहा है वास्तव में वह काबिले तारीफ ही है | प्रायोजित कायर्क्रमो के साथ साथ ऐन समाचारों के वक्त इसकी बोलती बंद न हुयी तो समझिये सारा तामझाम ही बेकार है | तिस पर तुर्रा ये की गाहे बेगाहे यह घोषणा कर दी जाती है कि ट्रांसमीटर पर बिजली फेल हो जाने के कारण आप फला सेकण्ड से फलां मिनट तक प्रसारण नहीं सुन सके | मुझे याद है पिताजी अक्सर कृषि कार्यकम बहुत ही चाव से सुनते थे | पर अक्सर घंटो जूझने पर भी यह स्टेशन जिद्दी बच्चे कि तरह बोलती बंद कर बैठ जाता था तो फिर बोलने का नाम नहीं लेता था | यह क्रम आज भी बदसूरत जारी है | भागवान करे आगे भी जारी रहे | आकाशवाणी अम्बिका पुर ;भोपाल ,छतरपुर के कार्यक्रम तो इस तरह सुनाई पड़ते है जैसे कोई मेरी छत पर से बोल रहा हो , और तो और अपनी रांची के प्रसारण गाहे बेगाहे सुन ने को मिल जाते है पर भलो हो लखनवी स्टेसन का जो अपनी आँखों में पट्टी बांधे कानो में रुई डाले पुरे तामझाम के साथ पक्पकाए जा रहा है | धन्य है यहाँ के तकनीकी विशेषग्य , प्रसारण अधिकारी ,जिनके कानो में जुंये इतने सालो बाद भी नहीं रेंगे | इस बार जून का महीना हाहाकारी गर्मी काटने के लिए , मानसून कि चहल कदमी को जानने के लिए इसी आकाशवाणी का सहारा था | मेरा गाँव यहाँ से मात्र १०० किलोमीटर ही होगा | मीडियम बैंड का सेट इस कि बेवफाई से हारा ही रहा | यह वक्त बेवक्त दगा देता ही रहा | राम करे इसकी धोखे बाजी बस चलती ही रहे |
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