MERI NAJAR
- 78 Posts
- 1604 Comments
कागा मोरे आँगना सगुन मनाओ आय |
मन पाहुन परदेश से घर जल्दी आ जाय |
ठहर बयरिया फागुनी छिलति मोरे गात |
भरी अगिनि री देह में मन रहि रहि सिसियात |
फागुन आया गांव में महुवा महका बाग |
बिना कन्त कस फगुना,कस होरी कस फाग | |
कागा रे उड़ि चलो जाव पिया के पास |
मोर संदेसा दई कहेव फागुन मिलन पियास
फागुन का दुष्कर विरह नयी नवेली नारि |
धवल चांदनी करि रहीं, रहि-रहि मो सौ रारि|
( कान्त -पिया , रारि – शरारत )
Read Comments