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आओ रे कागा मोरी अटरिया

MERI NAJAR
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  1. काहे री फागुन की बैरिनि बयरिया ,रहि-रहि छेड़ति मोहि |

पोर -पोर देहिया में अगिया लगावति ,थामे थमे नहीं देहि |
कुहू-कुहू कुहकति       काहे री              कोयलिया रहि -रहि अमंवा कि डार |
आजु तोरी बोलिया नीकि न लागै,लागै न नीका दुवार |                                   मन का अंगनवा सजन बिन सुना ,नीका न लागै सिंगार |
आओ रे  कागा मोरी अटरिया ,तोरी बलइया लेउ |
पियवा के आवन खबरि मंगावो ,दूध-भात तोहि देऊ |
छोटकी ननदिया मारे री ताना .फागुन में भाई बिदेश |
भौजी री तोरी ये मोहनी सुरतिया , सईया कसत परदेस |
छिटकी ई फागुन की चटकी अंजोरिया ,पिय बिन मनवा अंधेर |

मोरे बलमवा फागुन का बिरहा , काटे- कटै न मोर |





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