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पुलिस लाइन में होली

MERI NAJAR
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होली के ठीक दूसरे दिन सुबह पुलिस लाइन के मैदान में शामियाना तन गया ,लाउडिस्पीकर पर “हेले हेलो मैक टेस्टिंग के साथ विभाग के

वायरलेसके स्वर माइक से जुड़ पुरे मुहल्ले में गूंज उठे | रे बलभद्रर् तनी ढेला वाले को चाह के लिए कह दियो ,ससुर का नाती अभी तक नहीं लाया |सारा मोसन सुलो पड़ गया | कलुआ रे तनी झंडी ऊँचे से बांधना ,येस.पी
साहब को भी फील होना चाहिए कि हमरा जवान के दिल में फागुन ठीक वईसा घुसता है जइसे
सुन्नरी कि बरी बरी अंखियन में काजर , नाइका वियाही नारी के मांग में सिनुर | हा दुबे जी ख़ाली लोकेसन देबा कि कुछ औरो बोलबा | कइस कटा फागुन ……स र र र र र ……|
हम समझ गए कि हुकुम सिंह हवालदार के साथ साथ भारतीय पुलिस भी होरी के मूड में आ गयी है | अतः मै भी वहाँ का जायजा लेने पुलिस लाइन पहुच गया | यु भी कल शाम ही एक
आरक्षी घर पर धमकी दे गया था कि हवलदार सा ने बुलया है पंडित को ,मैक बजते ही पुलिस लाइन पहुच जाये वर्ना ………| अब यह अलग बात है कि हुकुम सिंह मेरे मित्र है |गाहे बेगाहे मेरी मदद कर देते है | कभी कभार मेरे घर चाय पीने आते है |तब मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है |घरवाली तो अक्सर पड़ोसियों पर पुलिस की दोस्ती का रोब झाड़ लेती है |
शामियाने पर काफी गहमागहमी है | एक तरफ सिलबट्टे पर भांग की पिसाई हो रही है तड़ीपार बिरजुवा “भरि फागुन बाबा देवर लागै ,भरि फागुन .गाता .हुआ .. भांग पीस रहा है . |
मेज पार फूल सजे है | ठंढाई को स्टील की टंकियो में रखा गया है | बगल का होटल वाला देसी घी में समोसे तल रहा है |
सत्तो ताई हंस हंस कर हुकुम सिंह के कान में कुछ कह रही है | नगर का नामी मयखाना ताई का है उनकी इच्छा कि मैं उनकी चालीस साला बेटी को कुछ सिखाउ | बेटी पदमावत की व्याख्या पर जोर दे रही है | हे जायसी जी इस काया से इस उम्र में पदमावत न बाबा ,हमेसा इस तरह की परिस्थियो में मुझे बचाने वाले हे आत्मीय शाही जी , कृष्ण मोहन मिश्रा जी कहा है आप लोग | चोर रम चेलवा
बरफ से पानी ठंडा कर रहा है , मतलब ये की सारा माहौल दोस्ताना है |
बड़े साहब के आगमन की खबर आयी | साहब ने विधिवत उदघाटन किया ,|वायर लेश पर
होली की शुरुवात की जानकारी बतायी गयी | दरोगा जी को खुद साहब ने गुलाल लगाया | चोर उचक्को ने पस्पर एक दूजे को पुलिसिया संरक्षण में रंगा ,पुलिस से गुलाल लगवाया |
भांग ठंढाई के गिलास चढ़ने लगे | कई गिलास चढ़ाने के बाद हुकुम सिंह माईक पर ” मोरा पिया घर आया हो राम जी ,अलापने लगे | आरक्षी बेल्ट हिला हिला कर दबंग वाली स्टाईल में नाचने लगे | माईक पर कजरारे कजरारे वाला गाना बजने लगा | मै समझ गया की अब भागने में ही भलाई है ,वर्ना राजनांचे की बोहनी के नाम पर चढ़ावे का फरमान बस आने ही वाला है | सत्तो ताई की दुलारी मेरी तरफ आ रही है हे भगवान ……….. |
नोट -पढ़ कर कमेंट न दिया तो हुकुम सिंह से समझ लीजियेगा |

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